रात के समंदर सा शांत, मैं अपनी हद में हूँ। रात के समंदर सा शांत, मैं अपनी हद में हूँ।
पर जिनमें डुबा दूँ तुम्हें, आँखों में अपनी ऐसे तालाब रखता हूँ। पर जिनमें डुबा दूँ तुम्हें, आँखों में अपनी ऐसे तालाब रखता हूँ।
मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कराहट की खातिर मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कर...
बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की,किसी गडरिये के होठो... बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की...
ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है। ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है।
मित्र मेरे ! मित्र मेरे !